Thursday, June 23, 2016

वक़्त
















वक़्त

वक़्त क्‍यों ठहरा सा हैं
ज़िन्दगी से क्‍यों उलझा सा हैं
कभी अपना तो कभी बेगाना सा हैं
इश्क़ के माहौल में वक़्त बेकाबू सा हैं
वक़्त की नजाकतों से कर ली हम ने भी मोहब्बत,
अब वक़्त भी हमारा दीवाना सा हैं
:-अभिषेक शर्मा

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