Friday, June 10, 2016

खामोश ज़बान















तुम भूल नहीं सकते हो ये पता हैं हमें, पर हम जी सके वो यादें दे दो हमें
मेरी सान्से रूक जाती है तुमारी खामोशी देखके ,अब ना कोई पुछे वो कहानी हम से
यू ना कुछ छिपा हम से, तेरी उदासी ने कह दिया हम से
तन्हाई से सब जान लेगे अब हम ! प्‍यार का कुछ अलग रिश्ता बना लेंगे अब हम

खामोश ज़बान

-अभि शर्मा

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