Friday, July 29, 2016

नफरत का बाजार





















नफरत का बाजार

दो मुक्तक
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नफरतों ने कितनो के ईमान को है लूटा
किसी का मकान किसी का शहर है छूटा
नफरतों के बाजार में जमीर कहाँ है टिका
बेईमानो का साथ देकर अब इंसान है टूटा
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अगर नफरत करोगे तो होगे तुम बदनाम
रोज मिलेगा तुम्‍हे एक आतंक का पैगाम
अगर थोडी सी भी बची तुझमें इनसानियत
छोड़ो इस नफरत को, करो प्‍यार से सलाम
अभिषेक शर्मा “अभि”
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Monday, July 25, 2016

छवि

















मुक्तक
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खुद की छवि बनाने में लग गया इंसान
समाज में ये कैसे चलाये अपनी दुकान
फायदा अपना हो दुसरा हो चाहे शिकार
खुद को बडा बनाने में कर दिया नुकसान
अभिषेक शर्मा
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Sunday, July 24, 2016

हर हर महादेव


















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महादेव भोले हैं वे ही महाकाल हैं। 
सावन में भक्ति कर भक्त खुशहाल हैं। 
इनकी जटा से ही बहती है गंगधार, 
शिव शंकर चन्द्रधारे लगते कमाल हैं ।
अभिषेक शर्मा "अभि"
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Friday, July 22, 2016

भोला भण्‍डारी





















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नन्‍दी कि ये करते सवारी हैं 
लीला इसकी सबसे न्‍यारी हैं
जगत के लिये पी लिया बिष
ये तो सचमुच भोला भण्‍डारी हैं
अभिषेक शर्मा "अभि"
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सर्वाधिकार सुरक्षित !!

Wednesday, July 20, 2016

बादल गरजें














बादल गरजें





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सावन में आई बरसात बगिया महक उठी ।
बादल गरजें पूरी रात धरती लहक उठी।
मतवाला सावन मन को भाये जरा झूमों
सावन के गाओ गीत नदियाँ बहक उठी।
:-@अभिषेक शर्मा “अभि”
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मुक्तक

Tuesday, July 19, 2016

शांति का पैगाम


















"भारतीय सेना को कोटि कोटि प्रणाम"


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शांति के पैगाम को तुम हमारी हार मत समझो ।
दोस्‍ती के पस्‍ताव को कमजोर विचार मत समझो ।
हर वक्‍त करते हो तुम हमें क्‍यों इतना परेशान
इन्सानियत के दुश्मन तुम हमें लाचार मत समझो।
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मत जगाना हमारे ताकतों के तूफान को
मत जगाना अन्‍दर सोये वीर महान को
देश के लिये लड़े और हँसते चढ़ गये फांसी
सह नहीं पाओगे तुम ऐसे वीर जवान को
:-@अभिषेक शर्मा
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Friday, July 15, 2016

हौसलों की उड़ान













हौसलों की उड़ान

हे पथिंक हो गया आराम
हौसलों की उड़ान अभी बाकी है
मिली नहीं है वो मजिंल
जीत की मुस्‍कान अभी बाकी हैं
हे गहरा काला अंधेरा
चांदनी रात अभी बाकी है
गुम मत हो अपनी खुशियों में
मां की वो आस अभी बाकी है
मत खेल शांत पडा समुंद्र
मंजर तूफान अभी बाकी है
बित गया वो सुनहरा कल
लिख “अभी” इतिहास अभी बाकी है
@:-अभिषेक शर्मा’अभी’

Wednesday, July 13, 2016

इश्क ने छीनी “सुर ताल”

















इश्क ने छीनी “सुर ताल”

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इश्क ने छीनी मेरी सब सुर ताल
नही पा रहा हूँ मै खुद को सम्भाल
कैसा यह दरिया है डूबते जा रहा हूँ
फंसे हम दोनों कैसा ये नफरत जाल
मुक्तक@:-अभिषेक शर्मा
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Tuesday, July 12, 2016

मोहब्‍बत II




















मोहब्‍बत II

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इश्क़ की कहानी का वो आगाज है मोहब्‍बत
प्‍यार में लिखें वादों का पैगाम है मोहब्‍बत
लूट ना जाना किसी बेवफाई के नाम पर
इश्क़ की कहानी का वो अंजाम है मोहब्‍बत
:-@अभिषेक शर्मा
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एक मुक्तक 

बादल बरसों


















बादल बरसों

पिरामिड विशेष वर्षा/श्रावण/हरियाली
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हे
नभ
बरसों
हो ना देर
सूखे है खेत
कर हरियाली
सब की खुशहाली
:-@अभिषेक शर्मा
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Friday, July 8, 2016

बरसात

















बरसात………………

हवाओं से पैगाम मिला हैं
मौसम का कुछ मिजाज बदला है
शांत हुई सागर की लहरें
तूफानों को विराम मिला है
पर्वतों से टकराते बादल
बरसातों को नया आगाज मिला है
बहारों मे आई नयीं उमंग
फुलवारीं को फूलों का नया उपहार मिला है
शांत पडा था सारा आलम
हर पक्षी को नया सुर ताल मिला है
(बरसात):-@अभिषेक शर्मा

Tuesday, July 5, 2016

चांदनी रात























चांदनी रात

ईद की पहली रात याद आती हैं
वो हसीं मुलाकात याद आती हैं
कैसेे मिली हमारी नज़र उन्‍से
चांदनी रात याद आती हैं
यू ना मुड़ मुड़ के देख महबूब मुझ को
तेरी नजरों में मुझे जन्नत नजर आती हैं
नहीं जानता मोहब्‍बत क्‍या होती हैं बेखबर हूं में
दिल पर लिख लिया तेरा नाम चाँद में अब तू नज़र आती हैं
:-@ अभिषेक शर्मा

Monday, July 4, 2016

माँ के आगे हर सवाल छोटे

















माँ के आगे हर सवाल छोटे

छोटी सी ऐ जिंदगी सवाल क्‍यों बड़े बड़े
कब निकल गया बचपन कब जवानी में पड़े
हंसते हंसते निकल गये घर से जिमेदारीयों के तले
मिला नहीं वो चाहा ,दिये इम्तिहान बड़े बड़े
आज भी घर की दहलीज़ में कुछ तो भूल पड़े
हंसती हुई माँ के कुछ अश्क हम कैसे भूल पड़े
माँ की हर दुवां में कितने जवाब थे पड़े
हर इम्तिहान में अपनी माँ को देख पड़े
अपने से पहले हर खुशी माँ को दे पड़े
जिंदगी की हर मुश्किलों से हम जीत पड़े
:-@अभिषेक शर्मा

Sunday, July 3, 2016

मज़ा कुछ और हैं















मज़ा कुछ और हैं

समुन्‍द्र के किनारे खड़े, निहारने से नहीं कुछ….
समुन्‍द्र की लहरों से टकराने का मज़ा कुछ और हैं
किसी का साहारा लेने में वो नहीं
जो किसी का साहारा बनने में हैं
प्‍यार में याद करने से कुछ नहीं
किसी के दिल में याद बन कर धंडकने में हैं
किसी के एहसासों से तड़पने में कुछ नहीं
किसी को अपने एहसासों से तड़पाने में है
किसी से बिछड़ने ,में वो नहीं….
जो किसी बिछड़े से मिलने में हैं
किसी के प्‍यार में जलने से कुछ नहीं……….
अपने प्‍यार से उसको जलाने का मज़ा कुछ और हैं
:-@अभिषेक शर्मा

Friday, July 1, 2016

मिली यूँ नज़रों से नज़र






















मिली यूँ नज़रों से नज़र

महफिलों में मिली यूँ नज़रों से नज़र
एक सितम पे ये दिल अब तेरा हो गया
तीर नज़रों से यूँ तुने मारा मुझे
में उसी ज़ख्म से अब घायल हो गया
मुलाकातों के दौर अब बढनें लेगे़
क्‍या खबर रात की कब दिन हो गया
क्‍या इबादत करू कुछ पता ना चले
हर दुवां मेरी अब तू ही बन गयी
इश्‍क के रंग में प्‍यार चढ सा गया
काली रातें भी अब चांदनी बन गयी
@:-(अभिषेक शर्मा)