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1
है
मन
चंचल
भटकता
न ठहरता
ओझल है लक्ष्य
जीवन की समाप्ति
2
है
जन
विचार
दिशा ज्ञान
भाग्य की रेखा
निरंतर लुप्त
व्यर्थ मानव धर्म
3
है
सेवा
दायित्व
मानवता
चरित्रावान
करूणा हदय
सार्थक हो जीवन
....अभिषेक शर्मा
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1
है
मन
चंचल
भटकता
न ठहरता
ओझल है लक्ष्य
जीवन की समाप्ति
2
है
जन
विचार
दिशा ज्ञान
भाग्य की रेखा
निरंतर लुप्त
व्यर्थ मानव धर्म
3
है
सेवा
दायित्व
मानवता
चरित्रावान
करूणा हदय
सार्थक हो जीवन
....अभिषेक शर्मा
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