Tuesday, September 13, 2016

छोड ही दे आराम



















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ज़न्नत को गर पाना दिल रखना है सा़फ
आतंक और मक्कारी से होते सब है ख़िलाफ़
मालिक का यह रास्‍ता है समझ ले इसांन
अच्‍छा काम ही करता रहे वही है इन्‍साफ

खोना है जो खो गया मिलता किस्‍मत के नाम
करना है जो कर लिया अब छोड ही दे आराम
नफरत को अब मिटना है दिल मे भर ले प्‍यार
मिलना है जो मिलेगा मत छोड अपना मुकाम
अभिषेक शर्मा अभि
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स्वंयरचित रचना सर्वाधिकार प्राप्त 

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