Wednesday, November 2, 2016

मौत का घर













इंसानियत को अब आतंक का डर है
क्‍यों पनपता यह एक मौत का घर है
निला आकाश भी आज हो गया काला
मानव की भूमि को यह करता बंजर है
_____________अभिषेक शर्मा अभि

No comments:

Post a Comment