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एक दिन दूर ये कलियुग का अंधेरा होगा
जब दिशा बदलेगी तो एक सबेरा होगा
अस्त होगी झूठी चमक मोह माया की
उस दिन धरती पर प्रेम का ही घेरा होगा ।
घनघोर घटा मद मस्त नीला अम्बर है
शीतल प्रवाह मे मोहित मन की लहर है
मिट गया अंधेरा उदय ज्ञान का सूरज
आनंदित मन समक्ष प्रत्यक्ष परमेश्वर है।
_________________अभिषेक शर्मा
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