Friday, July 1, 2016

मिली यूँ नज़रों से नज़र






















मिली यूँ नज़रों से नज़र

महफिलों में मिली यूँ नज़रों से नज़र
एक सितम पे ये दिल अब तेरा हो गया
तीर नज़रों से यूँ तुने मारा मुझे
में उसी ज़ख्म से अब घायल हो गया
मुलाकातों के दौर अब बढनें लेगे़
क्‍या खबर रात की कब दिन हो गया
क्‍या इबादत करू कुछ पता ना चले
हर दुवां मेरी अब तू ही बन गयी
इश्‍क के रंग में प्‍यार चढ सा गया
काली रातें भी अब चांदनी बन गयी
@:-(अभिषेक शर्मा)

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