प्रेम मय प्रकृति हर ओर भाईचारा है
धरा जीवन का आधारभूत सहारा है
अनके प्रजातियाँ को संभाले है खड़ी
हर प्राणी का अंतिम यही किनारा है
घनघोर घटा मद मस्त नीला अम्बर है
शीतल प्रवाह मे मोहित मन की लहर है
ऐसा अद्भुत जीवन का ज्ञान है मिला
जैसे मानव के मघ्य प्रत्यक्ष परमेश्वर है
____________अभिषेक शर्मा अभि
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