Saturday, September 17, 2016

मजदूर

















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जमाने का ये क्‍या दस्‍तूर है
रोता हमेशा भूखा मजबूर है! 
हर पल बहाता है खून पसीना 
रोटी के खातिर ही मजदूर है।


दुनिया की रौशनी से ये दूर है
मेहनत का ही इनको गुरूर है।
हँसीं खुशी रहता अपनो के बीच 
दिलो में अपनो के ये मशहूर है।
अभिषेक शर्मा अभि
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स्वंयरचित रचना सर्वाधिकार प्राप्त 




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