Tuesday, June 28, 2016

प्रभु भक्ति






















प्रभु भक्ति

प्रभु भक्ति के ज्ञान दर्शाय
बे रंग मोती मे अपने प्रभु को दिखाय
प्रभु की पीड़ा वो भक्‍त हर पल सह जाय
सनजीवन ना मिली तो लियो पर्वत उठाय
प्रभु प्रेम में भक्‍त कैसे डुबत जाय
कब सवेरा कब सांज हो जाय
पल पल ना अब कोई इच्‍छा सताय
भक्‍ति हो ऐसी तो रोज प्रभु मिल जाय
(प्रभु भक्ति):-@अभिषेक शर्मा

Monday, June 27, 2016

एहसास……..


















एहसास…….. (बता के तो देखो)

यूँ महफूज़ हो मेरे प्‍यार के दामन में..
किभी इसको ,तुम छुड़ा के तो देखो
जफाओं में पड़ के ,लबों को सी लिया हैं..
जो दिल के हैं एहसास ,बता के तो देखो
दिलों की हैं आग , तड़प सी लगी हैं..
कभी तुम भी इसमें तड़प के तो देखो
रो लिया हैं तुम ने यूँ नजरें चुराके के ..
थोड़ी नजरें हमीं पे उठा के तो देखो
दूर जाना तो , आसां है बहुत…
कभी तो हमें अपना के तो देखो
(एहसास.....):-@अभीषेक शर्मा

Saturday, June 25, 2016

हिन्‍दुस्‍तानी


















हिन्‍दुस्‍तानी

जीत लेते हैं प्‍यार से सब का दिल
नफरत को हम किनारा बोलते हैं
पूछ लेता हैं,जब कोई मजहब हमें
तो एक हिन्‍दुस्‍तानी ही बोलते हैं
दिल मे बसतें हैं हमारे महात्मा गांधी,
पर जुबांन से वहीं भगत सिंह इंकलाब बोलते हैं
मत दिखा मौत का आंतक हमें,
हम तो रोज मौत को सलाम बोलते हैं |
(हिन्‍दुस्‍तानी)@:-अभिषेक शर्मा

Friday, June 24, 2016

इंतजार

















इंतजार

एक पल हम दूर क्‍या हो गये
वो बड़े समझदार हो गये
हम भी अब थोड़े मजबूर हो गये
वो भी कुछ वफादार हो गये
दोनों के ठिकाने तो अलग थे
पर दिल के मकान एक हो गये
इंतजार के आलम ने कुछ यूं बदला हम दोनों को
में उन के नाम हो गया,और वो मेरे नाम हो गये
(इंतजार):-अभिषेक शर्मा

Thursday, June 23, 2016

वक़्त
















वक़्त

वक़्त क्‍यों ठहरा सा हैं
ज़िन्दगी से क्‍यों उलझा सा हैं
कभी अपना तो कभी बेगाना सा हैं
इश्क़ के माहौल में वक़्त बेकाबू सा हैं
वक़्त की नजाकतों से कर ली हम ने भी मोहब्बत,
अब वक़्त भी हमारा दीवाना सा हैं
:-अभिषेक शर्मा

Wednesday, June 22, 2016

प्रेम का खेल




















प्रेम का खेल

प्रेम की रचना में शब्‍दो का वो मेल
जैसे राधा संग श्‍याम का सुन्दर प्रेम
मीरा का भी अद्भुत था प्रेम
समपर्ण समर्पित भक्ति का मेल
आंसमा में असंख्य तारे अनेक
देखो अद्भुत हैं इसका चंदा से मेल
सागर को होता हैं लहरों से अधिक प्रेम
सावन में होते हैं जैसे बारिश के खेल
कभी करूणा कभी पीड़ा और त्‍याग का मेल
ईश्वर का हैं ये , अद्भुत प्रेम का खेल
(प्रेम का खेल):-अभिषेक शर्मा

Tuesday, June 21, 2016

मोहब्बत

















मोहब्बत



सच्चे आंशिक कि पहचान हैं मोहब्बत
धड़के जो महबूब के अन्दर वो जान हैं मोहब्बत
मिल गयी नजर तो मुस्कान हैं मोहब्बत
खो दिया तो यादों का एहसास हैं मोहब्बत
जिसने देखे रातों में वो खाव्ब हैं मोहब्बत
तन्हाई में सताती याद हैं मोहब्बत
टुटते दिल से मिला वो दर्द हैं मोहब्बत
लुट गया वफाओ के नाम पे, बेवफा हैं मोहब्बत
:-अभिषेक शर्मा

कोई हैं अपना














कोई हैं अपना

बिखरी सी हैं दुनिया पता लगाऊ कैसे
पुछता ये दिल इस पागल को समझऊ कैसे
किसने पुकारा ,वहाँ जाओ कैसे
होती हैं साजिश मिट जाओ कैसे
बाजार सा लगा हैं दिल को बेच आऊ कैसे
मिलता नहीं वो खरीदार वफ़ा निभाओ कैसे
उसने कहा इन्तजार करना, इतना वक्‍त लाओ कैसे
मिल गयी मौत “अभि” अब उससे लड जाओ कैसे
:-अभिषेक शर्मा

Monday, June 20, 2016

वादें





















वादें

खाव्‍बों को तू कुछ यु हसीन कर जा
जो में ना कह सकु वो तू कह जा

तेरे जनाजें में , मे ना रोया
होंश अभी तक मैंने ना खोया

वक्‍त ने कैसी करवट हैं ली….
दिल ने जैसे धंडकन को रोंक ली

कुछ तो वादें ,तू भी निभादे..
जहाँ हैं तू वहाँ मुझे भी बूलाले

:-अभिषेक शर्मा







Sunday, June 19, 2016

नफरत








नफरतों ने कितनों को लुटा,
किसी का घर तो किसी का शहर हैं छुटा
बईमानो के हाथों में ,मजबूर है बीका
नफरतों के बाजार में ,जमीर कहाँ टीका
मासूम की मुस्कुराहट छिनी और इससे क्‍या उम्मीद करो
मत पडो गहरा हैं ये समुद्र किनारे की क्‍या उम्मीद करो
नफरत से बिखरते प्‍यार का पीछा करो
लटु गया जो इससे, उसका घर आबाद करो
नफरतों के जहर से , अब ना इंनसानियत पे घांव करो
इंसान ही इंसान का कातिल, ऐ-मालिक अब तुम्ही इसका हीसाब करो
नफरत को अन्‍दर से निकाल बाहर करो
हसरत को इंनसानियत पर कुर्बान करो
:-अभिषेक शर्मा
(नफरत आज इस हद तक बड़ गयी हैं काई नफरत के चलते किसी का भी बुरा करे
किस ने हसरत बना ली किसको मिटाने की और कहीं नफरत आतंक में पनपती ,कही प्‍यार में)

Thursday, June 16, 2016

इच्छायें















क्यो बदल जाती हैं
जाने कहाँ से उत्पन्न हो जाती हैं
एक दिन थी कुछ छोटी
फिर कैसे ये विशाल बन जाती है
कभी मन में प्रीत जगाती हैं
कभी आपस में ही जलाती हैं
इच्छाओं का कोई घर नही
मस्तिष्क से उतर कर मन में समा जाती हैं

इच्छायें :-अभिषेक शर्मा

गलतियां













गलतियां बहुत कुछ सीखाती हैं
अधूरे को परिपूर्ण कर जाती हैं
जीवन के हर पल में ये डरती हैं
कुछ कमी रही ये ही बतलाती हैं
अगर इसके साथ खडी हो हिंसा
फिर एक सफल व्यक्ति भी गिरता
किसी राजा को कैसे हीन कर जाती है
कभी रामायण तो कमी महाभारत करवाती हैं
कोई नही जो इन से न मिल पाया
किसी ने सहज कहा तो किसी ने मन में छुपाया
गलतियां :-अभिषेक शर्मा

Tuesday, June 14, 2016

किरदार......















सब एक किरदार हैं 
सब का निश्‍चित स्‍थान हैं 

जैसे वो रचेगा 
वैसा ही घटेगा 

दुख-सुख तो एक अभाव हैं
 ये तो उसका किया हिसाब हैं 

कोई कहता हैं मिलाती है किस्मत
ये भी तो उसी का एक भाग हैं 

क्‍या होगा किसी को नही पता
प्रयास करना अपने हाथ हैं 

कोई बनता ज्ञानी तो काई महान हैं
तु हो ना आश्चर्य चकित ये भी तो किरदार हैं 

कोई कहता हैं में सब जान गया 
 उसके लिये ना कोई भार हैं    

करता रहे अपना कर्म 
आगे खड़ा वही भगवान हैं

:-अभिषेक शर्मा 

Monday, June 13, 2016

सफलता














कर परियाश , एक दिन मिलेगी सफलता-
अगर ना मिले, तो मत हो तु निराश
जब हावा रूकेगी, तो होगी बरसात
ऐ किसान तो कर पारिश्रम ,मत हो उदास
यू ही उड़ती रहो ततलियो , रुको मत
हैं पथजड का मौसम, आगे होगी बहार
गिर गया नन्हा फरिस्ता , मां मत हो हैरान
आगे ये होगा तेरा रक्षक ,या देश का जवान |

सफलता

-अभिषेक शर्मा

टुटा दिल















कुछ नफरत सी हो गई
दिल को किसी से शिकायत सी हो गई
उन्‍होने कहा पहले तो ये मेरा घर था
अब इसकी हालत खण्‍डर सी हो गई
वफादारी के नाम पर बिक गया में
जिंदगी(धडकंन) से कुछ उधारी सी हो गई
कोई नही मिला खरीदार
अब इंतज़ार करना आदत सी हो गई
जो थी मालिक ऐ दिल की
वो अब किरायेदार सी हो गई|

टुटा दिल

अभि शर्मा

Saturday, June 11, 2016

पागल दिल




















आज दिल ने फिर उसे क्यों याद किया
पागल दिल को, फिर उसने हैरान किया।
मोहब्बत करके इसे कुछ नही मिला
फिर भी इस ने तुझे ही चुना।
गम हैं तो कुछ ,और दे दे इसको
दर्द में भी इसने, तेरा नाम लिया।
हाल-ए-दिल तुम ने ना जाना
था तुम्‍हारा ,फिर क्यो इसे तोड डाला
फिर ना करना मोहब्बत ऐ दिल
अब तो खुदा ने भी पुछा, ऐ अभि मुझ से मिल।

पागल दिल -अभि शर्मा

Friday, June 10, 2016

आईना(II)














यकीन कर हकीकत हु में , फरेब तो नजरों का हैं
दर्द क्‍या हैं तेरा ,आ पास दिखाऊ तुझे
गुम हो गयी इस भीड़ मे, अपना कोने हैं दिखाऊ तुझे
नम हो तेरी ऑखे ,तो रो जाऊ मे
अगर हंस के बोलो ,तो ठहर जाऊ मे
कुछ ना छिपा मुझ से, एक पल में पढ़ जाऊ तुझे
मुद्दतों से खडा हु वही, अगर वफा करो तो मिल जाऊ तुझे

आईना(II)

-अभि शर्मा

आईना















यूँ ना कर सितम मुझ पे,
मुद्दतों से लौटा हूं , आईना बन के
उसी नजर से देख नजर आउगा तुझे
अगर कि साजिश, तो अब बिखर जाउगा में |

आईना

-अभि शर्मा


खामोश ज़बान















तुम भूल नहीं सकते हो ये पता हैं हमें, पर हम जी सके वो यादें दे दो हमें
मेरी सान्से रूक जाती है तुमारी खामोशी देखके ,अब ना कोई पुछे वो कहानी हम से
यू ना कुछ छिपा हम से, तेरी उदासी ने कह दिया हम से
तन्हाई से सब जान लेगे अब हम ! प्‍यार का कुछ अलग रिश्ता बना लेंगे अब हम

खामोश ज़बान

-अभि शर्मा

सिपाही की वो खुशी









सबकी खुशी में , में खुश…
मेरी खुशी ना और कुछ
मिल गया मुझे मेरा सब कुछ
मेरी आंख बंद थी, दिखा ना और कुछ
वतन के लिए निकली सांस चाहा ना और कुछ|
-अभिषेक शर्मा

नफरत










नफरत ना करो प्यार करो, इंसान हो ये याद करो
मालिक ने दि ,ये प्यारी जिंदगी इसे ऐसे ना खराब करो।
दुःख ना हो किसी को, वो काम मेरे यार करो
मालिक की कही बातों को, हमेशा याद करो।
क्या ले के आये हो, क्या ले के वाहा जाओगे?
पर सब के दिलो में ,अच्छे कामो से मुकाम करो।
मालिक मिल जायेगे तुझे यहां,
ऐसे काम मेरे यार करो, इंसान हो इंसान से प्यार करो।
नफरत  :-अभिषेक शर्मा

पथजड़ का मौसम


















पथजड़ सा लगे हर तरफ कमी सी लगे।
पत्ते पड़े फूल ना दिखे अब सुना जहां सा लगे।
जिदंगी की हंसी मे कुछ कमी सी लगे
बिन सवान धरती अधुरी सी लगे।
हर तरफ है सुना, प्यार मे कमी सी लगे
दिलो मे आई बेवफाई प्यार की कांतिल सी लगे।
अपने इरादो से अब जाने कितने हटने लगे
बेवफाओ के नाम पर अब जाने कितने मरने लगे।
जिसने रखा होसला इस दोर मे उन्हे हर पल अब सावन सा लगे।
पथजड़ का मौसम :- अभि शर्मा

पल

पल कुछ खास तो कुछ आम
कहीं इन्‍तजार, तो कहीं अंजाम|
एक पल में खुशी तो एक पल में घाव
एक पल में अमन तो एक पल में बिखराव||
 (पल)अभि शर्मा