Wednesday, December 28, 2016

जीवन की हुंकार













गलतियों से सीख कर जीवन को मैं पहचान गया 
 विफलता के अज्ञान को समय अनुरूप जान गया 
नही डर मुझ को जीवन की आगामी चुनौती से 
अनुभव के क्षणों से जीवन पथ का हो भान गया 
सफलता के कार्य से मिले वो अपना अधिकार है 
कठिनाई के क्षणों में देखो जीवन की ये हुंकार है 
 बीत गया वो गत, भविष्य को तुम्हे है निखारना 
छोड दो अपना झूठा अहंकार जीवन की ये हार है
अभिषेक शर्मा

मौसम

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हवाओं से पैगाम मिला हैं
मौसम का कुछ मिजाज ढीला है
पर्वतों से बादल का मिलना
शीत लहर का आगाज हुआ है
शांत पडा ये सारा आलम
हर व्‍यक्‍ति का रिवाज बदला है
आसमां पर कोहरे की चादर
सागर में जैसे अपना जहाज खडा है
______________अभिषेक शर्मा

Sunday, December 25, 2016

अटल
























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शालीन इनका आचरण व्यवहार से ये शीतल है 
सच्चे मार्ग का रस्ता इच्छाओं से ये प्रबल है 
चाँद-सितारे भी देते इनके जीवन को प्रकाश
बुलंद हौसला और नीति,ज्ञान से ये अटल है 
______________________अभिषेक शर्मा

Friday, December 16, 2016

मजबूर


















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जीवन का ये कैसा अजीब दस्तूर है
मुस्‍कुराता चेहरा भी लगे मजबूर है
बीच अपनों के मिले सुकून इसको 
उलझने ही जिन्‍दगी का कसूर है
रोटी के खातिर ही आदमी मजदूर है 
अपनी मेहनत पर सबको ही गुरूर है
हँसीं खुशी के साथ रहते सब के बीच
मगर जिन्दगी तो आज भी बेनूर है
______________अभिषेक शर्मा

Monday, December 12, 2016

अस्‍था की लहर

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अस्‍था की लहर भकित प्रेम का सावन है 
देव ऋषि मुनि गुरू की यह भूमि पावन है
है भक्तों की भीड़ धाम बहुत ही सुन्दर 
पुकारे मन की कुरूणा सेवा का शासन है
_____________अभिषेक शर्मा अभि

किस्‍मत

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अद्भुत मन भावन सा नजारा देखा
मचलती लहरों का किनारा देखा
मन की हर कली जैसे खिल गई
किस्‍मत का आज वो सहारा देखा
___________अभिषेक शर्मा अभि

सेवा में जीवन

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शब्‍दों का भण्‍डार वही ज्ञान होता है
करूणा मन में वही धनवान होता है 
मोह माया की है यह सब उलझन 
सेवा में जीवन वही इसांन होता है 
_________अभ्रिषेक शर्मा अभि

हाइकु

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जीवन पथ
संभल मुसाफिर
बदली दिशा
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शीत लहर
कोहरे का जहर
दूषित वायु
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भक्‍ति सागर
परंपरा पुरानी
ज्ञान की वर्षा
अभ्रिषेक शर्मा अभि

Thursday, December 8, 2016

भक्‍ति ज्ञान का रंग

















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भक्‍ति ज्ञान का हर एक रंग लगा प्यारा है
प्रभु प्रेम में मुदित सुन्‍दर चेहरा न्यारा है
भय कष्‍टों का निवारण होगा तुम्‍हारा सब
ज्ञान के निकट ही परमेश्वर का द्वारा है
...........................अभिषेक शर्मा अभि

Sunday, December 4, 2016

मुसाफिर अंजाना




















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जीवन में हंसी क्षण न रूके तो अच्‍छा हो,
मनभावन सी यादें गर महके तो अच्‍छा होI
मुसाफिर अंजाना सा अपना सा मिले कोई ,
मिल जाये समय पर ठिकाना तो अच्‍छा हो I
बदली सी लगती दिशाए किस और गये तुम ,
तूफानो में गिर कर संभल जाएँ तो अच्‍छा होI
मन की पीड़ा में लहराता उम्‍मीदों एक सेलाब
पथ में कंटकों से सामना न हो तो अच्‍छा हो|
_______________अभिषेक शर्मा अभि

Thursday, December 1, 2016

अद्भुत जीवन ज्ञान


















प्रेम मय प्रकृति हर ओर भाईचारा है
धरा जीवन का आधारभूत सहारा है
अनके प्रजातियाँ को संभाले है खड़ी 
हर प्राणी का अंतिम यही किनारा है
घनघोर घटा मद मस्‍त नीला अम्‍बर है
शीतल प्रवाह मे मोहित मन की लहर है 
ऐसा अद्भुत जीवन का ज्ञान है मिला 
जैसे मानव के मघ्‍य प्रत्यक्ष परमेश्‍वर है
 ____________अभिषेक शर्मा अभि