Monday, October 31, 2016

रोशनी की बहार
















प्यारी दीवाली प्रेम का यह उपहार है
घी के  दीप और  रोशनी  की बहार है
भूल  जाओ  सब  अपने दर्द को आज
खुशियां बांटो दीपोत्सव का प्‍यौहार है
__________अभिषेक शर्मा अभि

प्यार के दीप


















गीत गाये सब दीपावली का त्यौहार है
चारों तरफ खुशी मिलते सह परिवार है
चमक ऐसी रोशनी की नजर न हटती
प्रेम का ये उजाला हर बुराई की हार है
जलते रहें खुशियों के प्यारे यह दीप
मोती भरकर प्यार के मिले सबको सीप
जीवन में नयी उमग लाये प्यारी दीपावली
सभी के मन में बनके रहे प्‍यार के प्रदीप
_____________अभिषेक शर्मा अभि

Wednesday, October 26, 2016

राधा कृष्ण


















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झुका के नैना शर्माये राधा
प्रेम के दीपक जलाये राधा
मुधर मिलन ये राधा कृष्ण का
श्‍याम के साथ मुस्‍कुराये राधा 
___________अभिषेक शर्मा

Tuesday, October 25, 2016

प्रेम

















दिल की पीड़ा में हर रोज अब जल रहा हूँ मैं
प्रेम की आग मे तप के कैसा ढल रहा हूँ मैं
इतंजार के तीर ने मुझे कर दिया है घायल
हर पल इश्‍क से जिंदगी को छल रहा हूँ मैं
प्रेम से ही मुश्किलों को दूर कर रहा हूँ मैं
अपनों के बीच में भी कैसे भला डर रहा हूँ मैं
इस आग में जलने का अब गम नही है मुझे 
प्रेम से ही अपनों के कष्‍टों को हर रहा हूँ मैं 

________________अभिषेक शर्मा अभि

सरल भाषा
















ज्ञान पाने की मन को अभिलाषा है
प्रेम ही मनुष्‍य की सरल भाषा है
दुर होता इससे अँधेरा जीवन का
उचित ज्ञान ही प्रेम की परिभाषा है
प्रेम ही जीवन को देता उजाला है
बिन प्रेम हर अक्‍सर ही काला है
निर्मलता शालीनता अनेक है रूप
प्रेम ही सुखी जीवन की मधुशाला है
______अभिषेक शर्मा अभि

Saturday, October 22, 2016

प्रेम का श्रृंगार















तुम से कुछ यूँ जुडी हुई दिल्लगी मेरी
श्रृंगार तेरे प्रेम का बस ये सादगी मेरी
चाँद से मांगू हमारे इस रिश्‍ते की चमक
साजन के साथ ऐसे कटती जिदंगी मेरी
____________अभिषेक शर्मा अभि






Tuesday, October 4, 2016

हर मोड़ पर बदले














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दुनिया की क्‍यों ये रीत बदले
दौलत के पीछे अब प्रीत बदले 
व्‍यक्‍ति के देखो रंग है कितने 
हर मोड़ पर इसने गीत बदले
अभिषेक शर्मा अभि
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Sunday, October 2, 2016

महात्‍मा

















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महात्‍मा का सम्‍पूर्ण जीवन पूर्ण अहिंसावादी था
पतली दुबली काया पोशाक मे उन के खादी था
सत्‍य का रूप देश प्रेम ही था उनका धरम-करम
उच्‍च विचारक वो दिव्यात्‍मा सच में आशावादी था
अभिषेक शर्मा अभि
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स्वंयरचित रचना सर्वाधिकार प्राप्त 

Saturday, October 1, 2016

माँ की हो रही जय जय कार

















माँ का संजा प्‍यारा दरबार है
माँ की लीला ही अपरम्पार है
माँथे पर सब के लाल चुनरिया
माँ की हो रही जय जय कार है
अभिषेक शर्मा अभि

जवाब

















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पाक को मिला ऐसा जवाब है 
झूठा पाक देखता अब ख्‍वाब है
टूटा घमंड सारा ही पाक का
आंतकवाद का यही हिसाब है
अभिषेक शर्मा अभि
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अतिंम पैगाम














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वतन की रक्षा मे हर पुख्‍ता इंतज़ाम है
हिंद की सेना का यही अतिंम पैगाम है 
घर मे आकर ऐसा किया तुझे बेनकाब
दिखा दिया इतिहास होना यही अंजाम है
अभिषेक शर्मा अभि
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