Wednesday, September 28, 2016

बहारों के रंग
























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फुलों की गंध भरे सुन्‍दर ये वन है।
मदमस्‍त गहरा नीला ये गगन है।
फुलवारी की पहरेदार है हरियाली 
बहारों के रंग मे हुआ कैद ये मन है।
अभिषेक शर्मा अभि
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Sunday, September 25, 2016

खुशीयो का ख्वाब

















कब  देगी इस दिल को  जवाब
इश्क तुझे  करता ,मे  बेहिसाब
कभी  न  करू  मे   तुझे  उदास
जीवन फिर खुशीयो का ख्वाब
अभिषेक शर्मा अभि

Saturday, September 24, 2016

मधुर प्रेम व्‍यवहार























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मधुर प्रेम व्‍यवहार से ही जीवन सहजोर है
सच्‍चा मित्र वो जो संकट मे अपनी ओर है
सुख में सब साथी पर दुख में जो साथ दे,
मन उसके ही प्रेम मे होता भाव विभोर है
अभिषेक शर्मा अभि
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आतंक का मंजर













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सरहदों के  उस पार  आतंक का  बडा मंजर है 
कर दोस्‍ती  पीठ पर  मारता ये  रोज खंजर है
कैसे समझौता करें इस दोगले पाकिस्तान से
आतंकवाद का ये  बारूद इसकी भूमि बंजर है
अभिषेक शर्मा अभि
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Thursday, September 22, 2016

कश्‍मीर में लहराता तिरंगा



















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अन्‍धेरी रात में पीठ पर किया तुमने वार है
हिम्‍मत अब देखना तुम युद्ध ही आर पार है
भारत तो एक है अब होगें तेरे कितने टुकड़े
पाक के हर टुकड़े पर अब होनी ही बौछार है 
वीर की शहादत से पूरा देश आज है उदास 
हिंद का वीर हर युद्ध के लिये अब तैयार है
दुनिया ने अब जाना पाक का क्‍या है ढंग
आतंक का घर मासूमों पर करता अत्‍याचार है
मत देखना और झुठे सपने कश्‍मीर के पाक
कश्‍मीर में लहराता तिरंगा एकता और प्‍यार है
अभिषेक शर्मा अभि
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Wednesday, September 21, 2016

हिंद के वीर



















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हिंद के वीर इनका सुनहरा जो इतिहास है
शौर्य पराक्रम से लडते देश का विश्‍वास है 
घमंड दुश्‍मन का मिटाने तैयार है जवान 
युद्ध में निपुण वीरता ही इनका लिबास है
अभिषेक शर्मा अभि
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Tuesday, September 20, 2016

शाहदत का दिन



















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शाहदत का दिन हुई वीरों की पहचान अब 
शौर्य से लडे वीरों से नही कोई अंजान अब
माँ भारती की गोद है इन वीरो को पुकारती
कौशल और वीरता का अंतिम इम्तिहान अब

लहू से दिया वीरों का यह बलिदान है
नम आँखों से याद करता हिन्‍दुस्‍तान है
अँधेरी रात भी दे रही है आज चांदनी
हर भरतीय के सीने मे आज जवान है
अभिषेक शर्मा अभि
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Sunday, September 18, 2016

दिल का दर्द


















------------------------------------------------------- दिल के पन्‍नों पर इश्‍क का कैसा पैगाम है मोहब्‍बत फिर से जमाने मे हुई बदनाम है मेरे दिल का दर्द तुम्‍हे क्‍या बताऊँ यारो इश्‍क की काहानी का अक्‍सर यही अंजाम है अभिषेक शर्मा अभि -------------------------------------------------------

Saturday, September 17, 2016

व्यूह रचना














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कुशल-क्षेम जाने बिना मन को पढना वो भूल गया।
अपनो को नीचा दिखा कर अभिमान से वो फूल गया।
कलयूग का ये मानव कैसा हर पल बदलता जाये,
स्‍वयं की रची व्यूह रचना में स्‍वयं वो झूल गया!
अभिषेक शर्मा अभि
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मजदूर

















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जमाने का ये क्‍या दस्‍तूर है
रोता हमेशा भूखा मजबूर है! 
हर पल बहाता है खून पसीना 
रोटी के खातिर ही मजदूर है।


दुनिया की रौशनी से ये दूर है
मेहनत का ही इनको गुरूर है।
हँसीं खुशी रहता अपनो के बीच 
दिलो में अपनो के ये मशहूर है।
अभिषेक शर्मा अभि
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स्वंयरचित रचना सर्वाधिकार प्राप्त 




Thursday, September 15, 2016

अनूठी सवारी





















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मुषक की ये करते अनूठी सवारी है
भक्‍ति में हुई दिवानी दुनिया सारी है
कितने सुन्‍दर सजें आज पंडाल सारे
गणपति की लीला तो सब से न्‍यारी है
अभिषेक शर्मा अभि
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स्वंयरचित रचना सर्वाधिकार प्राप्त 

Wednesday, September 14, 2016

अमृत घोले हिन्‍दी भाषा





















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राष्ट्र भाषा हिन्‍दी से सुशोभित प्‍यारा है हिन्‍दुस्‍तान
सुनहरा इतिहास हमारा हम सब को देता है ज्ञान 
भारत की है सुन्‍दर महिमा गाये हमारा वेद पुराण 
वाणी में अमृत घोले हिन्‍दी भाषा से बढता है मान
अभिषेक शर्मा अभि
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Tuesday, September 13, 2016

इज़हार


















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हर रोज चाहत मिलने की ना होता ये इंतजार 
बढती ही जाये दिल की बेचैनी कैसा ये इकरार
अजीब इश्‍क की दीवानगी करती दिल को उदास
जिदंगी अब तुम्‍हारी है कर दे दिल का ये इज़हार
अभिषेक शर्मा अभि
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स्वंयरचित रचना सर्वाधिकार प्राप्त 

छोड ही दे आराम



















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ज़न्नत को गर पाना दिल रखना है सा़फ
आतंक और मक्कारी से होते सब है ख़िलाफ़
मालिक का यह रास्‍ता है समझ ले इसांन
अच्‍छा काम ही करता रहे वही है इन्‍साफ

खोना है जो खो गया मिलता किस्‍मत के नाम
करना है जो कर लिया अब छोड ही दे आराम
नफरत को अब मिटना है दिल मे भर ले प्‍यार
मिलना है जो मिलेगा मत छोड अपना मुकाम
अभिषेक शर्मा अभि
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स्वंयरचित रचना सर्वाधिकार प्राप्त 

कृष्ण विराग में बीते है दिन






















कृष्ण नाम केा अपना कर

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कृष्ण विराग में बीते ये दिन हर पल कृष्ण पास रहॅू
कृष्ण नाम केा अपना कर, जीवन भर तेरी  दास रहॅू
ओढनी ओढ रखी भक्‍ति की प्रभु तेरा ही इंतज़ार
धूप छाँव सा  जीवन है  फिर क्यों सदा उदास रहूँ
अभिषेक शर्मा अभि
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स्वंयरचित रचना सर्वाधिकार प्राप्त

दिल की पीड़ा



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दिल की पीड़ा में हर रोज अब जल रहा हूँ मैं
प्रेम की आग मे तप के कैसा ढल रहा हूँ मैं
इतंजार करके यह मन दि‍न रात है तड़पता 
तुम्हारे वास्ते शायद स्वयं को छल रहा हूँ मैं
अभिषेक शर्मा अभि
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नीले आकाश में बहारों का नजारा

















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नीले आकाश में बहारों का नजारा देखो।
सुन्‍दर झील में बहता पानी का किनारा देखो ।
हर तरफ छायीं है महक कुदरत की मानो
धरती पे सजा ये जन्नत का सितारा देखो।
चारो तरफ सुकून का सन्नाटा पसरा देखो
दिल को भाये खुशियों का घर दूसरा देखो
लहकती ये बहारे तेज हुआ हवा का झोंका
गाता गीत दिल प्रेम से हुवा हरा भरा देखो
अभिषेक शर्मा अभि
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स्वंयरचित रचना सर्वाधिकार प्राप्त

मानव हित



जीवन तो सम्‍पूर्ण प्रेम का मेला है। फिर क्यों खड़ा तू दूर अपनों से अकेला है ।
कितने महान कर्मो का यह दर्पण है। मानव हित और ईश्‍वर भक्‍ति में ही सर्म‍पण है ।
पवित्र रख मन यह तो देव निवास है। मत कर अधर्म होता फिर बड़ा ही विनाश है ।
कलियुग का भी बडा विचित्र प्राणी है। अहंकार माया से भरा क्रोध में इसकी वाणी है।

मोहब्‍बत













मोहब्‍बत 
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इश्क के पन्‍नो की नई शुरूवात है मोहब्बत 
तन्हाई मे बहतें अश्को की बरसात है मोहब्‍बत
यकिन तो कर ले मेरी प्‍यार की चाहत का
प्‍यार मे होती खुदा से मुलाकात है मोहब्‍बत
अभिषेक शर्मा अभि
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स्वंयरचित रचना सर्वाधिकार प्राप्त

कुछ बातें हम भूल गये

















कुछ बातें हम भूल गये



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दोष नही हमारा कुछ बातें हम भूल गये ।
खलिते खिलते मुरझा बचपन के फूल गये ।
प्रकृति में ही मिलता है जीवन का आनंद,
किन्तु सभी क्रतिम इन उपकरणों में झूल गये

प्रकृति में खिले फूल बहुत ही प्‍यारे हैं।
मिट्टी के घरौंदे अब इंसान के न्‍यारे हैं।
प्रकृति को बिना समझे दोहन हैं करते,
दिखावट के लिये बनाये बड़े ही नजारे हैं।
अभिषेक शर्मा अभि
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स्वंयरचित रचना सर्वाधिकार प्राप्त

गहरी चाल



गहरी चाल 


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लाग लपेट में मत फँसना, ये उनकी गहरी चाल है ।
इन्हीं भ्रष्ट नेताओं से ये, फैला नफरत-जाल है ।
इंसानियत इन्हीं के कर्मों से शर्मायी सिसक रही, 
ओढ़ भेड़ियों ने ली जैसे इंसानों की खाल है ।
अभिषेक शर्मा अभि
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प्रेम अनुराग





















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सुन्‍दर रूप प्रेम अनुराग से हर लिया मेरा मन है
बदला मौसम खिल गये नैना हुआ उनका आगमन है
चंचल करती उसकी मधुर बोली हूँ सुनने को आतुर
दूर भला में कैसे जाऊँ लगता उनमे अब अपनापन है
दुर्बल होता ही जाये ये मन उनके विराग में
रात दिन जलता ही जाये मन प्रेम के चिराग में
अन्‍धकार की पीड़ा ना सह पाऊँ है चांदनी रात
प्रतिक्षा मे तेरी मुरझा गये फूल प्रेम के बाग में
अभिषेक शर्मा अभि
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Friday, September 9, 2016

झील




















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नीले आकाश में बहारों का नजारा देखो।
सुन्‍दर झील में बहता पानी का किनारा देखो ।
हर तरफ छायीं है महक कुदरत की मानो
धरती पे सजा ये जन्नत का सितारा देखो।
चारो तरफ सुकून का सन्नाटा पसरा देखो
दिल को भाये खुशियों का घर दूसरा देखो
लहकती ये बहारे तेज हुआ हवा का झोंका
गाता गीत दिल प्रेम से हुवा हरा भरा देखो
अभिषेक शर्मा अभि
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Wednesday, September 7, 2016

प्रभात की किरन


















प्रभात की किरन

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प्रभात की किरन से रोशन धरती सारी है।
समुन्‍द्र में सूर्य की छवी बडी ही प्‍यारी है।
हरियाली को देख मन होता बडा ही चंचल
पक्षीयों मे बुलबुल की चहक सबसे न्‍यारी है
अभिषेक शर्मा अभि

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स्वंयरचित रचना सर्वाधिकार प्राप्त

शब्‍द
















शब्‍द

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शब्‍दों में छुपा रहता अमृत सा ज्ञान है।
उत्कर्ष शब्‍दों से ही लेखनी का मान है।
सरल भाव रचना में लाते निखार तो,
शब्‍दों के संगम से व्‍यक्‍ति गुण वान है।
अभिषेक शर्मा अभि

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स्वंयरचित रचना सर्वाधिकार प्राप्त

Monday, September 5, 2016

भ्रष्टाचार

















भ्रष्टाचार

बढता ही जायें यह कैसा नफरत जाल है
भ्रष्ट नेताओं से शराफत का बुरा हाल है
इंसानियत को भी किया है अब बदनाम
इंसान ने ओढ ली जैसे जानवर की खाल है
अभिषेक शर्मा अभि
स्वंयरचित रचना सर्वाधिकार प्राप्त

Saturday, September 3, 2016

बगिया की महक बड़ी प्‍यारी



















बगिया की महक बड़ी प्‍यारी

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बहारों मे बगिया की महक बड़ी प्‍यारी है।
रंग बिरंगे फूलों से सजी धरती सारी है।
हरियाली को देख अब बुलबुल भी चहके
सुन्‍दर नगरी की पहचान ही फुलवारी है।
अभिषेक शर्मा अभि
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स्वंयरचित रचना सर्वाधिकार प्राप्त




हिम्मत ऐ जिंदगी






















हिम्मत ऐ जिंदगी

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है बहुत अंधियार अब सूरज निकलना चाहिये
है कितना तेज ये तूफान इसे थमना चाहिये
घर बार सब के बिखर गये मुश्‍किल की है घड़ी
है हिम्मत ऐ जिंदगी फिर नही डरना चाहिये
अभिषेक शर्मा अभि
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स्वंयरचित रचना सर्वाधिकार प्राप्त