Sunday, November 20, 2016

प्रेम का गणवेश




























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शालीनता मन मे प्रेम का गणवेश है
मधुर बोली सर्व धर्मो का यह देश है
नित्‍य होती है यहाँ साफ सफाई 
स्वच्छता में ही देवो का प्रवेश है
__________अभिषेक शर्मा अभि

नया सवेरा




















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काले युग का नया सवेरा होगा 
नगरी कृष्ण की न अधेंरा होगा
जान लो राष्ट्र धर्म सब अपना
देश की मर्याद का पहेरा होगा
बेनाम सम्पति पत्र अब व्‍यर्थ होगे
कमजोर अर्थिक रूप से समर्थ होगे
रोक ऐसी लगी इस काले धन पर 
भ्रष्टाचार वाले अब असमर्थ होगे 
________अभिषेक शर्मा अभि

Wednesday, November 16, 2016

पैसों का खेल






















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पैसों का कैसा अलग ही खेल है
वृद्ध माँ-बाप का फिर से मेल है
नकली रिश्तों को अब जान लो
यही कलियुग की बडी सी जेल है
प्रेम से भरा सब का जीवन हो
हरा भरा रिश्तों का उपवन हो
असली धन है मानव की सेवा
हर प्राणी का दोष मुक्‍त मन हो
________अभिषेक शर्मा अभि

Monday, November 14, 2016

नया सवेरा

















अर्जन है तू इस रण का
धर्म के अपने शस्‍त्र को थाम

बीता काले युग का अंधेरा
अब नया सवेरा न्‍याय का मुकाम

भ्रष्टाचार और बढ़ती लालच का
देखो अब कैसा छिडा संग्राम

बदल गया जो था इतिहास
स्वच्छ भारत का ये सुंदर परिणाम

फिर से लौटेगी सोने की चिड़िया
अर्थव्यवस्था को लगी लगाम

_________अभिषेक शर्मा अभि












Sunday, November 13, 2016

इंसानियत का दौर





















दौर इंसानियत का फिर से चलने लगा
जो ईमानदार था फिर से हंसने लगा
रोका मुनाफा खोरो का काम-काज 
देखो अब भ्रष्टाचार कैसे डरने लगा
____________अभिषेक शर्मा अभि

Thursday, November 10, 2016

झूठी माया


















छोडो दौलत का मोह झूठी यह माया है
भष्‍टाचार का फैला ये तो काला साया है
हसरतों से उपर के सपने होते है झूठे
लालच ने देखो आज इसान को नचाया है
______________अभिषेक शर्मा अभि

Tuesday, November 8, 2016

जीवन पथ














जीवन पथ में गुरू का परम स्‍थान हो
उचित ज्ञान से ही मार्ग का उत्‍थान हो
कलियुग का समय हर पल यह बदले
अपने आराध्य का समयनुसार ध्‍यान हो
अवसर को पाने का ही जतन हो
हर असफलता का आत्ममंथन हो
बुराई कर देती है जीवन का नाश
पतन से पूर्व सही मार्ग दर्शन हो
________अभिषेक शर्मा अभि

Wednesday, November 2, 2016

भाग-दौड़

















जीवन तो हर मुश्किल से बेखबर है
यही तो समय के बदलाव का असर है
मंजिल के लिये रोज होती है भाग-दौड़
कठिनाई से अनुभव का वो सफर है
________________अभिषेक शर्मा अभि

मौत का घर













इंसानियत को अब आतंक का डर है
क्‍यों पनपता यह एक मौत का घर है
निला आकाश भी आज हो गया काला
मानव की भूमि को यह करता बंजर है
_____________अभिषेक शर्मा अभि

Tuesday, November 1, 2016

मेरा भैया















प्‍यारे भैया तुम से एक वादा चाहूँ 
मॉं के लिए तेरा प्‍यार ज्‍यादा चाहूँ 
भरोसा मुझे न बदलेगा मेरा भैया 
सदैव एक ही राम सी मर्यादा चाहूँ
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बाबा का दुलार और माँ का आँगन हो
बहन के साथ खेलते यॅू ही बचपन हो
यादों में न कभी सिमटे ये प्‍यार हमारा 
हर रोज मिले हंसी से वही अपनापन हो
____________अभिषेक शर्मा अभि