~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ शालीनता मन मे प्रेम का गणवेश है मधुर बोली सर्व धर्मो का यह देश है नित्य होती है यहाँ साफ सफाई स्वच्छता में ही देवो का प्रवेश है __________अभिषेक शर्मा अभि
-------------------------------------- काले युग का नया सवेरा होगा नगरी कृष्ण की न अधेंरा होगा जान लो राष्ट्र धर्म सब अपना देश की मर्याद का पहेरा होगा बेनाम सम्पति पत्र अब व्यर्थ होगे कमजोर अर्थिक रूप से समर्थ होगे रोक ऐसी लगी इस काले धन पर भ्रष्टाचार वाले अब असमर्थ होगे ________अभिषेक शर्मा अभि
दौर इंसानियत का फिर से चलने लगा जो ईमानदार था फिर से हंसने लगा रोका मुनाफा खोरो का काम-काज देखो अब भ्रष्टाचार कैसे डरने लगा ____________अभिषेक शर्मा अभि
छोडो दौलत का मोह झूठी यह माया है भष्टाचार का फैला ये तो काला साया है हसरतों से उपर के सपने होते है झूठे लालच ने देखो आज इसान को नचाया है ______________अभिषेक शर्मा अभि
प्यारे भैया तुम से एक वादा चाहूँ मॉं के लिए तेरा प्यार ज्यादा चाहूँ भरोसा मुझे न बदलेगा मेरा भैया सदैव एक ही राम सी मर्यादा चाहूँ ** ** बाबा का दुलार और माँ का आँगन हो बहन के साथ खेलते यॅू ही बचपन हो यादों में न कभी सिमटे ये प्यार हमारा हर रोज मिले हंसी से वही अपनापन हो ____________अभिषेक शर्मा अभि